शहर कुछ बदल सा गया हैं
नहीं तो, मुझे तो नहीं लगता
वहीं इमारतें वही रास्तें
शायद आप बदल गए हैं
मैं
मैं तो वहीं बैठा हूँ
क्यों फिर आज आप
अकेले इतमीनान से
बैठे नहीं उस बेंच पे
ठिकाने आप भी बदल रहे है
क्यों न बदलूँ !
यूँ ही दरख़्त साथ आने लगे है
कुछ शिकवे है अब इनसे भी
महज तन्हा सफर अब कोलाहल
चलिए छोड़िये
नए बंदोबस्त करने दीजिये
नहीं तो, मुझे तो नहीं लगता
वहीं इमारतें वही रास्तें
शायद आप बदल गए हैं
मैं
मैं तो वहीं बैठा हूँ
क्यों फिर आज आप
अकेले इतमीनान से
बैठे नहीं उस बेंच पे
ठिकाने आप भी बदल रहे है
क्यों न बदलूँ !
यूँ ही दरख़्त साथ आने लगे है
कुछ शिकवे है अब इनसे भी
महज तन्हा सफर अब कोलाहल
चलिए छोड़िये
नए बंदोबस्त करने दीजिये