Friday 26 June 2020

फिर ये मुसाफिर
समंदर के रेत पे
अपने शहर के निशां
यादों के कारवां को
एहसास करने

देखना दोस्त
ये यात्री जल्दी वापस लौट आएगा
मायानगरी की चकाचौंध भरे
उसी Marine Drive किनारे
अपने अधूरे किस्सों के बस्ते खोले
सफर के हिस्सों को मुकम्मल जीने 

फूहड़ एलियन आते है जब 

फूहड़ एलियन आते है जब
यही कही आँखे उबलने लगती है
दो चार वक्त क्या आया
हंसी रौंद चहेरे पे झाग कूटने लगते है
अब सुनो क्या करना है
हाँ, जमीं पे फेंक पैरों से कुचल दो
कह दो आने वाले नौसिखिये से
चीनी पे घोल गोल गोल बताशे उछाले है
जरा मढ़वा ले तुम्हरी छाती पे बैठ
कहकहे जो छूटे है
ये जिन्दा ज़िंदगी है
और दो चार चवन्नी लूटना है

Tuesday 23 June 2020

क्या आलम है! गड़हों पे टक 

चौखट से लगती सँकरी गली
खुलती मेन सड़क पे
सड़क से सटे फुटपाथ पे
किवाड़ पे साँकर डाले
तर-बतर बिकाऊ चीज़ पे छज्जा खींच
दुबके सावन से बचते पॉटर!

बाहर इक्का दुक्का ही
मोम की बरसाती से ढंके
बचे खुले आसमां तले भीगते
टेराकोटा की जमी क्यारियों पे
आती बौछारों की छड़ी
भीनी भीनी सोंधी खुशबुएँ
जमे रास्ते से गुजर रहा हूँ
वाकई क्या आलम है! गड़हों पे टक

Sunday 21 June 2020

गिरता आज एक धूमकेतु देखा 

यादों पे गुजरता
गिरता आज एक धूमकेतु देखा

जाने देहरी पे खजाने सा गड़ा
क्यों ताउम्र ये पिंड छोड़ गया
जिसकी सतह पे जमे
खुशियों के बेहिसाब कण
हक़ से मंज़िल खींच
ख्वाबों के नुक्लेओस

सूरज की तमाम तपिश लील किये
फटा सूती चोला ओढ़े
जाने ये फरिश्ता किस ओर चला गया

आज फिर यूँ लगा
चिलचिलाती ज़िंदगी पे
धूमिल से गया ये सुपरनोवा

कश्मकश चेहरे की उदास ख़ामोशी देख
अनगिनित सितारों तले मशक्कत
फिर एक उम्मीद का उजला पुच्छल तारा
फिर मेरे अब्बा ने मेरे लिए भेजा है
देखना इक रोज़ तुम भी
मेरे इस तथ्य को सच मानोगे 

Tuesday 16 June 2020


इन पहाड़ो के नशे करके देखना

किसी ख्यालो पे आतुर जागे हो
कही दिल में बेचैनी के धागे हो
तो दोस्त एकबार
इन पहाड़ो के नशे करके देखना
वाष्प से जमे धूमिल भ्रमजाल
यही झणभंगुर ना जाये तो बताना

झांकना आके इस जादुई दुनिया में
देखना दोस्त
तुम्हारे बेताब धागे से बुनते लिबास को
जिस पे उकेरे मायावी उसूलों से परे
जो खोये तुमने अतीत के छलावे तले
तुम्हारे सपनो के पुलिंदे

दबे छिपे जितने भी हो सपने अंत में
छोड़ देना इन विशाल खुले आसमां तले
अनंत सितारों के बीच उड़ते परिंदे
पहुंचा देंगे तुम्हारे ख्वाबो के किनारे

कल्पनाओं के अंत खोजते
देखना दोस्त अंत से ही तुंम
खुद में एक नयी शुरुआत ढूंढ लाओगे
जब मिलोगे वापस मुझसे तो कहोगे
की मैं झूट नहीं बोलता
ये रहस्मयी नशे वाकई काम के है