Tarun Sharma
Friday 14 April 2023
अनसुलझा ये पल है
हूँ मैं कहीं खोया हुआ सा
ये लम्हे खफा जो है
हवाओं की साज़िश में
बिख़रे हम कहीं
किनारे ख़ामोश बैठे है
और आवारा सफर
यूँ सुकून एक दस्तख़त है
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