Tuesday 30 March 2021

 आप सब कुछ गँवा सकते है 

लेकिन अपने सपने नहीं.......

जिस दिन आप 

आज़ाद परिंदों की तरह खुले आसमां में 

ख्वाबों के हर तिनके बुनना सिख जाये 

ज़िन्दगी पे ज़िन्दगी जैसे हर पल हर लम्हे 

समंदर की लहर, लहर सी यूँ बस उफनती जाये 

कल क्या हो, किसको फ़िक्र है 

ये लम्हें आज कुछ सुकून सें हैं 

आशियाने में दबे पाँव 

इतमीनान सी कश्मकश है 

बागी हवाओ में भी 

जाने क्यों वक्त मुझे बेफिक्र लगता हैं 

कोइ तो है इस मकां में 

हर पंखो को परवाज मिल जाता है 

सैलाब जैसे खुद वे खुद जज्ब हो जाता है 

वो लाफानी वो ही उम्मीद