Thursday 4 July 2019

क्यूँ फ़िज़ूल की बातों पर अड़े हों 
ये सुहाना मौसम रूहानी सी हवाएं 
दो पल सुकून में लिपटे 
ज़िंदगी को तहे  दिल से शुक्रिया कहे 

बारिश का मौसम 
मिट्टी की सोंधी खुशबु 
फ़ुर्सत के दो पल 
और 
एक कप चाय 

थोड़ी सी सहूलियत मिली हैं 
ये शहर भी अनजान सा हैं 
चलिए रास्तों से कुछ गुफ़्तुगू 
करते है 

ये दरख़्त 
अक्सर हवाओं से 
कुछ बाते किया करते है 
ना जाने ज़िंदगी में 
कितने खाली कितने भरे हैं 
पर हर पल हर पतझड़ में 
सफर के भागीदार हैं