Sunday 29 March 2020

Ye pal
Yun hi thahar jaye
Ye pal....

Jab saath aye ye raste
Safar apne yaar ho gye

Safar, khwaabon ka hai ye safar
Manzilo ki na koi ab fikar

Dheeme dheeme se
Gunguna rahi khwaashen
O halla macha rahi ye baandishe
Duniya kitni bhi bataye jo kahaniya
mat kar inpe itni meharbaniya
Teri Raahe kyu ruki ruki
Baahe kyu thaki thaki
Tu chal is dagar
Kyu kare hai agar magar
Ye jamee ye aasman
Sab apne yaar hai
Safar, khwaabon ka hai ye safar
Manzilo ki na koi ab fikar

Dil me aaya yun hi ek khyaal hai
thahra kyu hai rahgir
har baar ye sawaal hai
tu aag hai , tu roshni hai
tu khud ek mashal hai






tu chal



Safar, khwaabon ka hai ye safar
Manzilo ki na koi ab fikar


Teri Raahe kyu ruki ruki
Baahe kyu thaki thaki
Tu chal is dagar
Kyu kare hai agar magar
Ye jamee ye aasman
Sabse apni yaari hai



tu aag hai , tu roshni hai
tu khud ek mashal hai


Tu chal is safar pe
manzilo ki na ho koi fikar

Teri raahe kyu ruki ruki
Baahen kyu thaki thaki
Kandho pe jo tere baste
utaar de beech raste
Tu chal is dagar
Kyu kare hai agar magar
Ye jamee ye aasman
Sabse apni yaari hai
Tu chal is safar pe
manzilo ki na ho koi fikar

Dil me aaya yun hi ek khyaal hai
Thahra kyu hai rahgir
Har baar ye sawaal hai
Duniya kitni bhi bataye jo kahaniya
Mat kar inpe itni meharbaniya
Tu aag hai , tu roshni hai
Tu khud ek mashal hai
Gujar aisi raah se gujar
Jal uthe ye pal ye lamha ye jahan
Tu chal is safar pe
Manzilo ki na ho koi fikar

Musafir hun yaaro
Ek raahnuma chahiye

Kal pe sawal hai
Jeena aaj bawaal hai
Khaali udaan aasmaa me
Na mila koi dariya is jahan me

Musafir hun mein tera
Tu hi raahnuma chahiye

Kal pe sawal hai
Jeena aaj bawaal hai
Tu chala kidhar
Tere liye hi to liye hai
ye sab Pange udhaar
Bura hai jamana jara
Fans na jaye tu hai abhi athara
Chalo shukar karo
Mein hun to ab ye kya fasane
Lekin kya karu bahut hai tere deewane
Thame hum haatho me haath
Chale saath saath
Saare saare din Saari saari raat
Ab konse bahane Ab konse thikane
Har pal har shahar ho
tere mere hi naam ke charche
Na ho agar kisi ko khabar to
Baant do tere mere ye parche
Musafir hun mein tera
Tu hi raahnuma chahiye










Ye pal ye safar ab
Tere bin jee na paye















.... मकान खाली कर दो| जिंदगी की राहों में जैसे ताला जड़ दिए हो | एक सनसनाटी आवाज आयी
"आपके पास दो दिन की मोहलत है| " पर दो दिन में ये संभव नहीं , मैं 30 साल से ....... रूंधते गले से अचानक आवाज़ रुक गयी | किराये का मकान किराये का होता है और ऊपर से तुम अस्पताल के कर्मचारी ठहरे| आवाज़ में एक रोष था| मगर आप जानते है इस वक्त देश के हालत कैसे है, मैं 55 के उम्र में कहाँ जाऊंगा| तो क्या मैं अपने परिवार को मरने छोड़ दूँ ,ना जाने अस्पताल में कितनो को छुआ होगा तुमने| पुरे घर में एक सन्नाटा छा गया जैसे घर की एक एक ईटे बेजान हो गयी हो| लड़खड़ाके फिर सम्भलते हुए उसने कहा, "ठीक है जैसा आप मुनासिब समझे , कल ही मैं ये मकान खाली कर दूंगा|" आप सब महफूज रहे ये इल्तिज़ा है मेरी| जुबां खामोश हो गयी जैसे अब कुछ बचा ही ना हो बोलने को|
"आप इत्मीनान से बैठ जाइये, मैं एक कप चाय बना देता हूँ आपके लिए|" तल्ख़ होते माहोल के बीच सुदर्शन ने कहा|  'नहीं मुझे कुछ नहीं पीना है, बस आप ये मकान .........|' चीखते चिल्लाते  हुए मनोज मकान से बाहर निकला| हांफते कंपकपाते हुए उसने एक कुर्सी अपनी तरफ खींची और उस पर इत्मीनान से बैठ गया| कुछ देर बैठने के बाद कमरे के एक कोने की और रुख किया| अलमारी में रखे कुछ कपडे और चंद पैसे समटने लगा| तभी कपड़ों के साथ कुछ फटे पुराने पन्ने नीचे गिर गए, उन्हें उठाने की ज़हमत करते हुए वहीं ज़मीन पे बैठ गया| कपडे उठाते हुए फटे पन्नो पर निगाहे गयी तो देखा मनोज के बेटे की अस्पताल रिपोर्ट थी| कुछ बरस पहले भाग दौड़ करते हुए कैसे उसके बेटे की जान बची थी| उन कागजो को वहीं छोड़, कपडे समटने में मशगूल हो गया| सब सामान को संदूक में भर कर बाहर वाले कमरे में रखी टूटी टेबल पर पटक दिया| वही पास में रखी कुर्सी पे जाके बैठ गया, कुछ समय बाद अचानक उठा और रसोईघर की तरफ चला दिया| एक कप चाय के साथ वापस आया और फिर उसी कुर्सी पे आके इत्मीनान से बैठ गया और सोचने लगा 'इस कैफियत में सारे इंसानो के फितरत एक जैसी होती है|' खैर छोड़िये "किराये का घर किराये का होता है" और  सुकून से एक कप चाय पीने लगा| संदूक उठाया और लबो पे एक मुस्कराहट लेते हुए घर से बहार आ चला|
बहार आकर देखा तो सुने शहर, वीरान रास्ते एक झुठलाती तस्वीर बयां कर रहे है| काफिलों पे काफिले, पैदल नंगे पाव, जेब खाली, गठरी में दो जोड़ी कपडे , पैरो में छाले, टूटे मन और ठिठकी उम्मीदों के साथ गाँव जा रहे उन मजदूर लोगो की दास्तान है जिन्हे कभी किसी ने नहीं जिया| मैं भी उन काफिलों के साथ हो चला, मुलाकात हुई तो 'लोगो ने कहा यहाँ से बस मिलेगी, तो मैं यहाँ आ गयी| बहुत देर से पैदल चल रही हूँ, मुझे याद नहीं कितने घंटे| मैं बहुत परेशान हूँ, रो-रोकर गुहार लगा रही हूँ| मेरा कोई नहीं है यहाँ , मैं कहाँ रूकती, वो पूछ रही थी| मेरे पास इसका कोई जवाब ना था, मैंने अपने बस्ते से कुछ खाने के पैकेट निकले और दे दिए| मैंने अपना मोर्चा संभाला और सबको दूर-दूर रहने की सलाह दी| अब ये ही तंबू मेरा घर और ये लोग मेरे मरीज| जेहन में एक मसर्रत लेके फिर से अपने अस्पताल चल दिया|





Thursday 26 March 2020

दो पल यूँ ठहर सा जाये
थम सा जाये ये सफर        फासलों   वज़ह   बेवजह
फ़साना       
जज्बात   ख़ामोश  इशारे  गुम-सुम सी इक़रार
ख्यालात आगोश पल भर  अरमां जो सोये थे अपने    धड़कने   खो जाएं   अरमानों की दास्तां है  जुबां   बीता जीता    मतलबी 

कुछ बात ग़लत भी हो जाए 
कुछ देर ये दिल खो जाए 

बेफिक्र धड़कने, इस तरह से चले 
शोर गूंजे यहां से वहाँ                समां  



बेफिक्र सी ज़िंदगी

ज़िंदगी जीनी ही है तो ऐसे ही
जहाँ राहें कही ऐसी नहीं

Befikar zindagi, malang si khwahish liye
Gam saare bhula ke raaste yun chal diye
Hosh me rhna hai kyun, sawal jab kal pe ho
Behoshi me hai maza, hansi ke ye jo pal ho

Behake behake dil ke khyaal hai
Kyu na jiye ise hum har baar
Badle badle Ye safar bemishaal hai
Kyu na jiye ise hum baar baar
Jana kahan hai kisko pata
Dode raftaar me dil ki sab hasraten
Befikar zindagi, malang si khwahish liye
Gam saare bhula ke raaste yun chal diye

kahe har pal ye zindagi
yahi hai yahi
puri tarah se jeele ye lamhe
wahi hai wahi
kho jaye ye dil kuch pal kahi
laut na sake aarzoo hai ab yahi
Befikar zindagi, malang si khwahish liye
Gam saare bhula ke raaste yun chal diye




Bewajah Faaslen kyun hue
juban khamosh tum ho iski vajah
itni berukhi kyu hai
tu hi zindagi  hai meri


soye the jo aarman fasane ab kahe


बेफिक्र ज़िंदगी, मलंग सी ख्वाहिश लिए
सारे गम भुला के रास्तें यूँ चल दिए
होश में रहना है क्यूं, सवाल जब कल पे हो
बेहोशी में है मज़ा, हंसी के ये जो पल हो

बहके बहके दिल के ख्याल है
क्यों ना जिए इसे हम हर बार
बदले बदले ये सफर बेमिशाल है
क्यों ना जिए इसे हम बार बार
जाना कहाँ है किसको पता
दौड़े रफ़्तार में दिल की सब हसरतें
बेफिक्र ज़िंदगी, मलंग सी ख्वाहिश लिए
सारे गम भुला के रास्तें यूँ चल दिए

कहे हर पल ये ज़िन्दगी
यहीं है यहीं
पूरी तरह से जी ले ये लम्हें
वहीं है वहीं
खो जाये ये दिल कुछ पल कहीं
लौट ना सके आरज़ू है अब यही
बेफिक्र ज़िंदगी, मलंग सी ख्वाहिश लिए
सारे गम भुला के रास्तें यूँ चल दिए

E nadan parinde udd jaa, udd jaa 
O nadan parinde udd jaa, udd jaa

Khamosh hai tu
Kyu khamosh hai
Pal jo tere hai
Ye pal Kyu bhula de tu
Log Kya kahenge ye saare bahane
Saare afsaane tujhe hi hai sajane
Duniya ki Fikar karta h kyu
Khud ki bhi fikar kar le kabhi
O nadan parinde
Udd jaa, udd jaa, udd jaa

Dhundhe dhundhe
maare maare kyu fire hai tu
khoye the jo khwab tere
soye the jo aarman leke
udne de khule aasman me
udne de is gulabi saama me
Tute dil ke saare fasane kah rhe hai
jee le yun is tarah se jee le
vakt hi na mile fir tujhe
O nadan parinde
Udd jaa, udd jaa, udd jaa

ए नादान परिंदे उड़ जा, उड़ जा
ओ नादान परिंदे उड़ जा, उड़ जा

खामोश है तू
क्यों खामोश है
पल जो तेरे है
ये पल क्यों भुला दे तू
लोग क्या कहेंगे ये सारे बहाने
सारे अफ़साने तुझे ही है सजाने
दुनिया की फ़िक्र करता है क्यों
खुद की भी फ़िक्र कर ले कभी
ओ नादान परिंदे
उड़ जा, उड़ जा, उड़ जा

ढूंढे ढूंढे
मारे मारे क्यों फिरे है तू
खोये थे जो ख़्वाब तेरे
सोये थे जो अरमां लेके
उड़ने दे खुले आसमां में
उड़ने दे इस गुलाबी समां में
टूटे दिल के सारे फ़साने कह रहे है
जी ले यूँ  इस तरह से जी ले
वक्त ही ना मिले फिर तुझे
ओ नादान परिंदे
उड़ जा, उड़ जा, उड़ जा


                                                                                             






































Wednesday 25 March 2020

ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो

ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो
हवाओं को रास्ते सजाने तो दो
हम चले इन मुस्कुराती राहों में
अब जाना कहाँ है, क्या पता

कल की किस को फिक्र हैं
सब धड़कने अब तेज हैं
अनजानी कश्तियों पे सवार
किनारे अब दूर हैं

वक्त है तो हंसने दे
दर्द है तो मिटने दे
फासलों को अब टूटने दो
इन लम्हो को यूँ ही जीने दो
ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो
हवाओं को रास्ते सजाने तो दो

हज़ारों सवाल, ढूँढूं क्या
जब मिल गया ये जहान
ज़िंदगी के सफर पर
लिख दो ये दास्तान





Sunday 22 March 2020

चलिए एक सवांद करते हैं
आसमं में उड़ते परिंदों का शोर
और
पिंजरे में क़ैद इंसानो की ख़ामोशी !

अजीब शख्स है, रोज़ फ़िज़ूल के बाते करता हैं
मैं चाहता हूँ आज करे तो चुप्पी साध बैठा है !

एक शाम
भूली- बिसरी यादें
बेफ़िक्र सी हंसी
हज़ारों लफ़्ज़ों की ख़ुशी
और दो पल जीने की खाव्हिश !


सुनसान सी गलियों में
आज घरो के सारे झरोखे
खुलने दो
अधूरी हसरतों को आज
जी भर जी लेने दो

आज मुज़्दा ये है
मेरी तन्हाई ने आज
एक फरमान जारी किया
तू, तेरी ज़ीस्त, तेरी जुस्तजू
सब कुछ मैं ही तेरा
एक गम - गुसार!

Khwabon ke baste khulne to do
Hawon ko raaste sajane to do
Hum chale in muskurati rahon me
Ab Jaana kahan h, kya pata

Kal ki kis ko fikar hai
Sab dhadkane ab tez hai
Anjaani kashtiyon pe sawaar
Kinare ab door hai

Vakt h to hasne de
Dard h to mitne de
Faslon ko ab tutne do
In Lamhon ko yun hi jeene do
Khwabon ke baste khulne to do
Hawon ko raaste sajane to do

Hazaro sawal, dhundhun kya
Jab mil gya ye jahan
Zindagi ke safar par
Likh do ye dastan

ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो
हवाओं को रास्ते सजाने तो दो
हम चले इन मुस्कुराती राहों में
अब जाना कहाँ है, क्या पता

कल की किस को फिक्र हैं
सब धड़कने अब तेज हैं
अनजानी कश्तियों पे सवार
किनारे अब दूर हैं

वक्त है तो हंसने दे
दर्द है तो मिटने दे
फासलों को अब टूटने दो
इन लम्हो को यूँ ही जीने दो
ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो
हवाओं को रास्ते सजाने तो दो

हज़ारों सवाल, ढूँढूं क्या
जब मिल गया ये जहान
ज़िंदगी के सफर पर
लिख दो ये दास्तान


Sune shahar veeran kuche
Khule aasmaan me
Udte Parindo ka shor
Aur gulzaar sa ek ghar
Chaliye ek Takreer ho jaye
Tum aur Mein, Ek Safar











































यूँ ही घर की दीवारें
अक़्सर इंतज़ार में सालों गुजार देती हैं 
अनसुनी दास्तान, अनकहे अल्फ़ाज़ 
अधूरी ख्वाहिशों की लम्बी फेहरिस्त 
एक अरसे बाद मयस्सर फुर्सत के पल 
आइये एक शाम कुछ मुख़्तलिफ़ 
गुफ्तुगू हो जाये !

अगर सफर पर अधूरी ख्वाहिशें लेकर चल रहे हो तो
समंदर की गहराईओं से उन्हें मुलाकात करवाईये
ना जाने क्यूँ अक्सर लहरें
सुकून से किनारे ढूँढ ही लेती हैं

अक्सर आशियानों को तन्हाई समेटते देखा है
हजारों लफ्जों को आज सुकून भरे एक कप चाय में घुलते देखा है!