Thursday 30 November 2017

समय के सितम का भी एक खास अनुभव रहा | ये वक्त बीत जाना था,जो बीत के समाप्त हो चुका | कुछ पल हंसी के, कुछ गम के आगोश में बीते हुए कल की ये दस्तक, आज भी किसी किबाड़ की ओट में फंसी सी लग रही हैं | अकेले सफर में रास्तें कितनी दूर थे,आज भी इसकी कुछ यादें मन के एक कोरे कागज़ पर सिमटी हुई हैं | जीवन की यात्रा अपने राह में चलती हुई दूसरे छोर पर आ खड़ी हुई हैं | मालुम है ज़िंदगी को जुल्म के सवाल भी बहुत है पर वक़्त के क्रूर होते सितम को ये मुस्कुराते हंसी पलों का जवाब हैं |  

वक़्त के क्रूर होते सितम को मुस्कुराते हंसी पलों का जवाब आया हैं...... 

#Words #VaktKaSitam

Monday 27 November 2017

     रास्तों के शोर में कोई गुम हैं
    अनजान से अतरंगी सफर में 
   ये अनसुने से सतरंगी आवाम हैं 
 अँधेरे झरोखें में बस ये एक नाम हैं 

आज़ाद पंछीओ से आज़ादी की गुहार हैं

Friday 24 November 2017

ज़िंदगी के सफर का ये भी एक किस्सा हैं
फ़ेहरिस्त हज़ार गुमसुम ख्वाहिशें का बसेरा हैं 
आगाज मंज़िल का कबतक एक और नया सबेरा हैं 
मुस्कुराइए जिंदगी की यात्रा का ये भी एक हिस्सा हैं