अलसाये बाशिंदे
ज़िंदगी है ख्वाहिशें है
उन्मुक्त कुछ ख़्याल
वो उड़ते परिंदे गाफिल
काफिला तो फ़िकरो में है
जाने कुछ तो है ये शाम में
जैसे हवाओं में बहकते
मलंग ये दिल परिंदे
गुलजार ज़िंदगी की हर फ़ेहरिस्तें
है साथ जब ये सुकून का जज़ीरा