Tuesday 31 December 2019

अतीत की दास्तान के पिटारे को बंद कीजिये
और समंदर की गहराइयों में उसे छोड़ दीजिये
भूलने -भुलाने की ये कवायद ताउम्र जारी रहे| 
साल दर साल बदलते रहे नए साल आते रहे
सूरज की नयी किरणें, हजारों ख्वाहिशें लियें
ज़िंदगी के हर कदम हर मुकाम पर
बेसब्री से पहुँचने की जिद पर अड़ी हैं
ज़िंदगी का मेरा यही फ़लसफ़ा रहा है
जियें अलहदा सी ज़िंदगी को
एक खूबसूरत लम्हात में
एक अल्हड़ मन के साथ !