मधु की शाला
पुछ रही हाला फिर प्याले से
कब आ रही लेकर मदिरा फिर मधुशाला में
तनिक देर न कर साकी
फिर राह देख रही भरी प्याला हाला से
बुझ नहीं रही प्यास पानी से
ले आ साकी फिर एक प्याला हाले का
गुजर गयी ज़िंदगी इन मधुशालाओं में
अब मत रोक साकी जाने फिर मधुशाला में
कट रही ज़िंदगी सहारे मदिराओं के
मरने बाद चढ़ा दे शरीर भरी प्याला हाले से
- तरुण शर्मा
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