Thursday 30 November 2017

समय के सितम का भी एक खास अनुभव रहा | ये वक्त बीत जाना था,जो बीत के समाप्त हो चुका | कुछ पल हंसी के, कुछ गम के आगोश में बीते हुए कल की ये दस्तक, आज भी किसी किबाड़ की ओट में फंसी सी लग रही हैं | अकेले सफर में रास्तें कितनी दूर थे,आज भी इसकी कुछ यादें मन के एक कोरे कागज़ पर सिमटी हुई हैं | जीवन की यात्रा अपने राह में चलती हुई दूसरे छोर पर आ खड़ी हुई हैं | मालुम है ज़िंदगी को जुल्म के सवाल भी बहुत है पर वक़्त के क्रूर होते सितम को ये मुस्कुराते हंसी पलों का जवाब हैं |  

वक़्त के क्रूर होते सितम को मुस्कुराते हंसी पलों का जवाब आया हैं...... 

#Words #VaktKaSitam

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