Tarun Sharma
Friday 26 June 2015
poetry with tarun 1
तुम्हारे होने से , न होना बेहतर है
तुम्हारे खोने से , न मिलना बेहतर है
तुम्हारे टूटने से , आस कितनो को क्या- क्या है
तुम्हारे मिटने से , हम मैं ख़ास क्या -क्या है
- तरुण शर्मा
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