कितनी हसीन थी वो रात, जब हम देर रात से सोते
तब उस अँधेरी रात में एक चहकने की आवाज़ आती
पता नहीं वो आपकी डाँट थी या प्यार पर ,वो रात भी हसीन थी
कितने गजब थे वो दिन, जब हम देर से सोके उठते
और एक चिल्लाने की आवाज़,पर उस एक आवाज़ में भी प्यार था
कहाँ खो गए । पापा
ज़िंदगी के वो अहम पल,जब हम अपना परिणाम फल
लेके जाते कोई न कोई बहाने से,काँपती थी रूँह धड़कता था दिल
फिर भी उस एक आवाज़ में हम जी जहाँ उठते
कहाँ खो गए । पापा
उन अँधेरे रास्तो पर जब माचिस की सारी तिल्लियाँ बुझ जाया करती
तब एक तिल्ली जलती इन अँधेरे रास्तो में
जब जरुरत थी दुनिया से लड़ने की,छोड़ चले इन कांटे भरे पथ पर
न हारूँगा,न अविश्वास होंगा,इस अडिग रस्ते पर
आपकी दिखाई तिल्लियो को,मैं कभी बुझने नहीं दूंगा
कहाँ खो गए। पापा
- तरुण शर्मा
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