लम्हें
दौड रही कशिश इन लहरों में ,
मैं दूर हूँ ,कैसे इन शहरो से ,
झाँक रही मुहब्बत,इन दिल के तहखानो से,
कट रही रातें ,बंद पड़े इन लफ्जो में,
ये लम्हें कैसे है
ये तेरा दिल समझता है ,
ये मेरा दिल समझता है
तुम हमसे दूर हो कैसी
हम तुमसे दुर है कैसे
मगर गम में है हम भी
मगर गम में हो तुम भी
पूछ रही दुनिया ,कायदे मुहब्बत के
लूटा कर शोहरतें ,खुश हैं हम भी
खुश हो तुम भी
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