Thursday 9 March 2017

गुनगुना रही अल्हड़ सी शामें 
शोर मचा रही ये ख्वाहिशें
हर बातों पे जो हो रही हंसी  
खोने ना दे ये पल की ख़ुशी  

बदली बदली सी जुनून की मस्तियाँ 
करने दे कुछ नयी नयी नादानियां 
आँखों में लहराती ये मनमानियां 
मन में बहने दे ये बदमाशियां

उड़ने दे बेफिक्रे से ये मन 
करने दे कुछ उमंगों सा पागलपन 
हवाओं में बहती ये खुशियां 
मचलने दे दो पल ज़िन्दगियाँ

गुनगुना रही अल्हड़ सी शामें 
शोर मचा रही ये ख्वाहिशें
हर बातों पे जो हो रही हंसी  
खोने ना दे ये पल की ख़ुशी  

आँखों में लहराती ये मनमानियां 
करने दे कुछ नयी नयी नादानियां 
उड़ने दे बदमाशियों सा ये मन
करने दे कुछ उमंगों सा पागलपन 


हवाओं में बहती ये खुशियां 
मचलने दे दो पल ज़िन्दगियाँ






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