Wednesday 25 March 2020

ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो

ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो
हवाओं को रास्ते सजाने तो दो
हम चले इन मुस्कुराती राहों में
अब जाना कहाँ है, क्या पता

कल की किस को फिक्र हैं
सब धड़कने अब तेज हैं
अनजानी कश्तियों पे सवार
किनारे अब दूर हैं

वक्त है तो हंसने दे
दर्द है तो मिटने दे
फासलों को अब टूटने दो
इन लम्हो को यूँ ही जीने दो
ख्वाबों के बस्ते खुलने तो दो
हवाओं को रास्ते सजाने तो दो

हज़ारों सवाल, ढूँढूं क्या
जब मिल गया ये जहान
ज़िंदगी के सफर पर
लिख दो ये दास्तान





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