यूँ ही घर की दीवारें
अक़्सर इंतज़ार में सालों गुजार देती हैं
अनसुनी दास्तान, अनकहे अल्फ़ाज़
अधूरी ख्वाहिशों की लम्बी फेहरिस्त
एक अरसे बाद मयस्सर फुर्सत के पल
आइये एक शाम कुछ मुख़्तलिफ़
गुफ्तुगू हो जाये !
अगर सफर पर अधूरी ख्वाहिशें लेकर चल रहे हो तो
समंदर की गहराईओं से उन्हें मुलाकात करवाईये
ना जाने क्यूँ अक्सर लहरें
सुकून से किनारे ढूँढ ही लेती हैं
अक्सर आशियानों को तन्हाई समेटते देखा है
हजारों लफ्जों को आज सुकून भरे एक कप चाय में घुलते देखा है!
अगर सफर पर अधूरी ख्वाहिशें लेकर चल रहे हो तो
समंदर की गहराईओं से उन्हें मुलाकात करवाईये
ना जाने क्यूँ अक्सर लहरें
सुकून से किनारे ढूँढ ही लेती हैं
अक्सर आशियानों को तन्हाई समेटते देखा है
हजारों लफ्जों को आज सुकून भरे एक कप चाय में घुलते देखा है!
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