Sunday 19 February 2017

उस नाविक के वजूद को तलाश कर 
जो तेरी मँझधार में फँसी नाव को निकालकर
किनारो पर पहुँचाने की चुनौती स्वीकार करे 
क्यों रुका है तू, किसका इंतज़ार कर रहा है 
उस कुशल नाविक की खोज पर निकल तू 
जिसे तूफानों के सामने आने का भय नहीं 
जो पानी की गहराई से चित परिचित हो 
निकल पड़ तू उन जोखिम भरे रास्तों पर 
लगा दे समय अपना पूरा इन कोशिशों में 
खोज निकाल तू उस केवट को पाताल से भी 
आज ही अभी इसी समय निकाल ले तू 
अपनी कश्ती को इन मँझधारों के भँवर से 

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