Tuesday 14 February 2017

कुछ पेड़ो की शाखाये खाली है 
कुछ पुराने पत्ते नीरस हों चले 
कुछ नए पत्तों के रंग समेटने 
बदरंग डालियों की पीड़ा को 
समझता दरख़्त भी जानता 
कुछ समय भर के हमराही है  
जीता उन पलों को खुशियों से 
पत्तों की टहनियों से भरा वृक्ष 
कभी भय से जीता नहीं जीवन 
जीवन के कुछ पल दो पल कभी
गम तो कभी खुशियों से भरे है 
हर पल आनंद के आघोष में जियें 
क्यों की पल भर की ज़िन्दगी में 
कुछ पल के मेहमान बने है 













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