Thursday 9 February 2017

कुछ रास्ते कभी मिलते नहीं 
कभी हम चलते नहीं तो 
कभी तुम रुकते नहीं 
ज़िन्दगी की उलझनों में 
अतीत के कुछ पन्ने हम से छूट गए 
तो कुछ पन्ने तुमसे घूम गए 
इन राहो के दरमियान हरेक पल 
बीते हुए कल के खोफ़ में 
संजीदगी से जी नहीं पाया 
कुछ राहों की चाल कभी 
मोड़ किनारो पर आयी नहीं 
हमारी चाल राहों के झोर 
से कभी आगे चली नहीं 





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