मलंग सा बैरागी जियूं
छोटा सा है मेरा फ़साना
किस को क्या बताना
इसे क्या सुनाना
उड़ती आवारा सी धुन पे
बस चला जा रहा हूँ
गाते नगमों के साथ
फिकरे उडाता जा रहा हूँ
छूटी है ख्वाहिशें राहो पे कहीं
रास्तो से अब पूछना क्या
ये पता लापता ही सही
मंज़िल का तो अता पता नहीं
सुरंग पे सुरंग चले जा रहा हूँ
ख्वाहिशों का पिटारा लिए
काफिलों के हवाले करते जा रहा हूँ
हाथो पर आयी खुलके ये शामें
रुबरू हुआ हूँ मैं अब खुद से खुद को जाना हूँ
ओझल सी जी ली बहुत ये ज़िंदगी
मंज़र के कश भर अब तो नशे में बिताऊंगा
मैं ही अपने दिल का हौसला हूँ
बागी हवाओं में खुद को संभाला हूँ
यूँ ही अब मैं बैरागी सा जियूं
राहों में मलंग मलंग फिरता जाऊं
छोटा सा है मेरा फ़साना
किस को क्या बताना
इसे क्या सुनाना
उड़ती आवारा सी धुन पे
बस चला जा रहा हूँ
गाते नगमों के साथ
फिकरे उडाता जा रहा हूँ
छूटी है ख्वाहिशें राहो पे कहीं
रास्तो से अब पूछना क्या
ये पता लापता ही सही
मंज़िल का तो अता पता नहीं
सुरंग पे सुरंग चले जा रहा हूँ
ख्वाहिशों का पिटारा लिए
काफिलों के हवाले करते जा रहा हूँ
हाथो पर आयी खुलके ये शामें
रुबरू हुआ हूँ मैं अब खुद से खुद को जाना हूँ
ओझल सी जी ली बहुत ये ज़िंदगी
मंज़र के कश भर अब तो नशे में बिताऊंगा
मैं ही अपने दिल का हौसला हूँ
बागी हवाओं में खुद को संभाला हूँ
यूँ ही अब मैं बैरागी सा जियूं
राहों में मलंग मलंग फिरता जाऊं
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