Sunday 7 June 2020

काफिराना मन

 मौसम ने ली है करवटे,
 रूखे सूखे रास्तों पे
 देखो गुदगुदा रही ये तेज बारिशें

 खोये सोये दिल में हुई जैसे एक हलचल
 जाने आयी कहाँ से ये बहकी हवाएं
 फंसी थी होठों पे जो हंसी
 खुल के भर रही अब ठहाके जोर जोर से
 रोके क्यों अब हम ये ठिठोली
 जीने को मिली है अब वजह

 जाने दिल पे चढा है ये कैसा खुमार
 दौडे बेधड़क दिल की हर धड़कने
 हल्ला मचा रही है सब जिद्दी ख्वाहिशे
 बेचैनियों को मिली है अब जगह

 दिल जो चाहे अब वो ही पाये
 रफ्तार में अब अपनी मनमर्जियां
 कहती है, सौ बाते करती है ये दुनियां
 अब डरना क्या
 होने दे बचकानी सी नादानियां
 जीने को मिली है अब वजह

 ये बचपना सा
 कुछ पागलपन है
 आवारा सफर पे
 उड़ता ये काफिराना मन है












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