Saturday 6 June 2020

 चलोगे दोस्त मेरे साथ इस सफर पे

 सुनो
 कुछ ढूंढ़ रहे हो दोस्त
 क्यों ना इस खुशनुमा पगडंडी पे
 चल के देखो मीलों सा है फासला
 पर क्या पता शायद मिल जाए कहीं पे
 खोया हुआ तुम्हारा सुकून का झोला

 सुना है ये रास्ते ले जाते है
 दूर किसी सपनो की पहाड़ी की ओर
 पहाड़ी के तले बसती है
 एक सतरंगी दुनिया
 छोटी ही पर मिलती है
 वहां सबको अपने मन की दुनिया

 ये शाम क्यों ना
 हम तुम भी एक कोशिश करे
 जेब में दो आने ही सही
 गुलाबी आसमां देखने के बहाने ही सही
 ज़िंदगी की दौड़ से दूर, वक्त को दिल पे थामने
 चलोगे दोस्त मेरे साथ इस सफर पे

 कल की राहों में हो फंसे
 जरा सम्भलना दोस्त
 सुना है उस दुनिया को
 ये फेर कतई पसंद नहीं

 मुस्कुराते हुए खिलखिलाते हुए
 बेसुरे ही बिसरे नज़मे गुनगुनाते हुए
 थोड़ा तुम अपनी बेताबी के लिफाफे खोलना
 थोड़ा मैं अपने रोमांच के खत खोलूं

 कही किसी शाम Cafe में बैठे हुए
 यूं ही चाय पे तेरे मेरे सियापों की चर्चा करे
 कभी तुम कैमरे का फोकस सेट करना
 कभी मैं आवारा ख़यालों के Sketch तराशूं
 सुबह से ढलती शाम तक बस हम तुम यहीं
 गढ़ते रहे कारिस्तानी इस सुनहरे PostCard पे
 बोलो दोस्त
 चलोगे मेरे साथ इस सफर पे
















No comments:

Post a Comment