Sunday 14 June 2020

 फिर से मैं छिछोरा मुस्कुराउगां

 हंसता है कोई चेहरा
 किसी ख्यालो पे ठहरा
 बातों बातों पे है
 बेचैन थोड़ा बेताब
 उथले समंदर पे ढूंढता
 मध्यम पडे़ सूरज से मांगता
 हल्की सी रोशनी का सैलाब

 धुंधली यादे है सिरहाने
 खोये जिंदगी के ठिकाने
 अतीत के छलावे तले
 जाने किस ओर चला जाउगां

 अपने मन का हौसला बन
 उठती सिसकियों को दिखाउगां
 फिर सपनो का बिछौना डाल
 अपनी जंग पे खुद को हराउगां
 राहों पे फिक्रे उड़ा हर लम्हें पकड
 फिर से मैं छिछोरा मुस्कुराउगां








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