आखिर पहुँच ही गया
दिल में अपनी बेताबी समेटे
कबीलों से लड़ झगड़कर
अपने ख्वाबों की चाबी लेके
दूर आसमां के परे
उलझे सितारों के तले
अकेला कदम कदम बदलता
सूरज में पिघलता
कुछ पाने की आस में
कश्ती की चढ़ती सांस में
सवार, हाथ में एक पतवार
हौले हौले ज़िंदगी सुलगते हुए
बुलबुले पे रख फिकरे उडाते हुए
बहाने पे बहाने यही छूमंतर कर
आँखों में ये ही जंतर मंतर भर
रास्तों का हौसला चुरा के
अपनी धुन का पंख लगा के
आखिर पहुँच ही गया
अपने गंतव्य स्टेशन पर
दिल में अपनी बेताबी समेटे
कबीलों से लड़ झगड़कर
अपने ख्वाबों की चाबी लेके
दूर आसमां के परे
उलझे सितारों के तले
अकेला कदम कदम बदलता
सूरज में पिघलता
कुछ पाने की आस में
कश्ती की चढ़ती सांस में
सवार, हाथ में एक पतवार
हौले हौले ज़िंदगी सुलगते हुए
बुलबुले पे रख फिकरे उडाते हुए
बहाने पे बहाने यही छूमंतर कर
आँखों में ये ही जंतर मंतर भर
रास्तों का हौसला चुरा के
अपनी धुन का पंख लगा के
आखिर पहुँच ही गया
अपने गंतव्य स्टेशन पर
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